June 12, 2009

आहट तन्हाई की...



.....
पता नहीं क्यूँ आज
ठन गयी है खुद से ही खुद की
मन मस्तिस्क में हो गयी है
न जाने क्यूँ एक अनबन सी
शायद, शायद दूर कहीं सुन पड़ी है
आहट तन्हाई की...

हमें एहसास न था कि
एहसास भी हम कर पाए कभी
कि तेज तीछन धारा से
तट की ओर भी आयें कभी
बढ़ते ही गए हम
बढ़ते ही गए हम...

लगता है जरूरत आन पड़ी अब
एक सुनहरे पड़ाव की
जो मन ने सुन ली है अब
आहट मेरी तन्हाई की...
- सुधीर कुमार सिंह


Full version @ http://www.ee.ucla.edu/~suds/aahat-tanhai-ki.pdf

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