June 28, 2009

दिल ने आज फिर आरजू की है
कि एक तमन्ना हो
और जिंदगी में उसे पूरी करने की
कोई जद्दोजहद हो!
मुआ वो ज़िन्दगी भी क्या
ना कुछ चाहा ना कुछ हासिल किया
ना कुछ पाया ना कुछ खोया
हाँ, मुश्किलें हैं राह-ए-मंजिल में
पर उस मंजिल का भी क्या
जो कोई भी पा ले
और उस मुसाफिर का भी क्या
जो बीच राह में हार मान ले...