April 17, 2011

shayari

मुझसे कहा खुदा ने, मत कर इन्तजार इस जनम में उसका मिलना मुश्किल है
मैंने भी कह दिया, लेने दे मजा इन्तजार का अगले जनम में तो मुमकिन है

उसने कहा, मत कर इतना प्यार बहोत पछतायेगा
मुश्कुरा के मैंने कहा, देखते हैं तू कितना मेरी रूह को तड्पाएगा

फिर उसने कहा, हटा उसे चल तुझे जन्नत की हूर से मिलवाता हूँ
मैंने कहा, आ नीचे देख मेरे प्यार का मुस्कुराता चेहरा तुझे जन्नत की हूर भुल्वाता हूँ

तिलमिलाकर कहा उसने, मत भूल अपनी औकात कि आखिर तू है तो एक इंसान
मैंने कहा "तो मिला दे मुझसे मेरे प्यार को और साबित कर कि तू ही है भगवान्"

(credits: my sister)

April 10, 2011

Thought of the day

In my school days, I used to love those calculus problems with limit x tending to infinity. It still looks funny how a delta (tending to 0) brings meaning to something totally nonsense (like 1 divided by 0).