1. कौन कहता है आंसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों...
2.
ज़िन्दगी की असली उडान अभी बाकी है,
ज़िन्दगी के कई इम्तेहान अभी बाकी हैं,
नापी है मुठी भर ज़मीन अभी,
आगे अभी सारी ज़मीन, सारा आंसमां बाकी है....
सौजन्य: http://www.google.com/transliterate/indic/
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